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हे नाथ अब तो ऐसी कृपा हो

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हे नाथ अब तो ऐसी कृपा हो 

हे नाथ अब तो ऐसी कृपा हो जीवन निरर्थक जाने न पाये

यह मन न जाने क्या क्या दिखाए कुछ बन ना पाया मेरे बनाए

 

संसार में ही आशक्त रह कर दिन-रात अपने ही मतलब की कहकर

सुख के लिए लाखो दुःख सहकर ये दिन अभी तक यूहीं बिताये

हे नाथ अब तो ऐसी कृपा हो जीवन निरर्थक जाने न पाये

 

ऐसा जगा दो,फिर सो ना जाऊं अपने को निष्काम प्रेमी बनाऊं

मैं आप को चाहूँ और पाऊं संसार का कुछ भय रह ना जाय

हे नाथ अब तो ऐसी कृपा हो जीवन निरर्थक जाने न पाये

 

वह योग्यता दो,सत्कर्म कर लूँ अपने ह्रदय में सद्भाव भर लूँ

नर-तन है साधन,भव-सिंधु तर लूँ ऐसा समय फिर आये ना आये

हे नाथ अब तो ऐसी कृपा हो जीवन निरर्थक जाने न पाये

 

हे दाता हमे निरभिमानी बना दो दारिद्र हर लो,दानी बना दो

आनंदमय विज्ञानी बना दो मैं हूँ पथिक यह आशा लगाए

हे नाथ अब तो ऐसी कृपा हो जीवन निरर्थक जाने न पाये

 

हे नाथ अब तो ऐसी कृपा हो जीवन निरर्थक जाने न पाये

यह मन न जाने क्या क्या दिखाए कुछ बन ना पाया मेरे बनाए

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